आज ग्राम नाहरमऊ के राधा कृष्ण मंदिर प्रांगण में मटकी फोड़ प्रतियोगिता आयोजित की गई
आज नाहर मऊ में 30 अगस्त 2021 को सुबह 11:00 बजे कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बनाते थे श्री राधा कृष्ण मंदिर में नव युवा मंडल एवं गणमान्य नागरिकों द्वारा मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया
आज जैसा कि सभी जानते हैं, कि आज कृष्ण जन्माष्टमी है! आज 30 अगस्त 2021 को पधारे हुए श्री राधा कृष्ण मंदिर मैं सभी युवा वर्ग एवं बच्चे और गणमान्य नागरिक द्वारा बहुत ही अच्छा प्रदर्शन और बहुत ही अच्छा प्रयास और बच्चों को सीखने के लिए करते हुए प्रयासरत यह खेल बड़ी ही प्रेरणा देता है और कुछ लोगों के बताए अनुसार आप जैसा कि कृष्ण जन्माष्टमी है और मटकी तोड़ प्रतियोगिता एवं खेल भगवान श्री कृष्ण का बचपन का बहुत ही सुंदर खेल माना जाता है ऐसे ही वह बचपन में उन घरों से अंदर सीखो ऊपर मटकी को बांध के रखते थे, और मटकी में दही यानी मक्खन भरा होता था, ताकि उनका मक्खन कुत्ते बिल्ली और अन्य तरह के जीवो से सुरक्षित रहे इसलिए उसे घरों के अंदर ऊपर बीचो-बीच लटका दिया जाता था प्रश्नों के द्वारा और नटखट नंदलाल श्रीकृष्ण जी अपनीको बाल कलाओं को दिखाते हुए उस मकान को चुराकर खाने से प्रश्न जी को बड़ा ही आनंद प्रतीत होता था और बृजवासी स्वयं ही यह जानते हुए के श्री कृष्ण और से माखन को चुरा कर खाएंगे परंतु फिर भी या यूं कहें कि श्री कृष्ण के लिए ही माखन निकालकर और ऐसी जगह पर रखते थे ताकि कृष्ण जी आए और अपने हिस्से का माखन रखें सभी में भावना रहती थी कि श्री कृष्ण हमारे घर का माखन खाएं उन्हें बड़ा ही आनंद मिलता था श्री कृष्ण की माखन चोरी करके खाने से श्री कृष्णा अपनी शाखाओं के साथ कई घरों में माखन चोरी किया करते थे और खाते थे और गाय भी दूध एवं की अधिक देती थी ऐसी मान्यता है कि कई वर्षों से यह मटकी फोड़ प्रतियोगिता कार्यक्रम यूं ही चला रहा है और इस रूप में हम श्री कृष्ण के बाल काल को याद करते हैं और यह उत्सव त्योहार बड़ा ही मन को छू लेने वाला होता है! अतः तत्पश्चात हमने गणमान्य नागरिकों से इस त्यौहार के बारे में पूछा तो उन्होंने अपना परिचय देते हुए बताया!
(1). पंडित श्री अशोक कुमार दुबे उन्होंने बताया कीजिए खेल एवं परंपरा प्राचीन परंपरा है और इसमें हमारे दादा परदादा भी बहुत ही उत्साह से इसको खेल को खेलते थे एवं मटकी तोड़ते थे और नव युवा मंडल को मटकी तोड़ने का पुरस्कार व्यापारी तो सब भी अपने स्वयं हाथों से दिया करते थे और आज जग्गू ठाकुर के द्वारा प्रतियोगिता पूर्ण की गई मटकी तोड़ी गई और इस कार्यक्रम पर ₹500 विजेता को घोषित किए थे ऐसे ही हर वर्ष कुछ ना कुछ भेजे विजेता को देने का वादा रहता है और दिया जाता है और अपने युवा मंडल पीढ़ी भरपूर प्रयास करती है,
(2). श्री मान बदन यादव जी से बात की तो उन्होंने बताया कि मैं आर्मी में रह चुका हूं और इस कार्यक्रम को मैं अपने बचपन से ही बहुत ही पसंद करता रहा हूं और हर बार इस में भाग लेता हूं मन को बड़ा अच्छा लगता है और अपनी नौकरी के कार्यकाल में जब भी कृष्ण जन्माष्टमी आती थी तो मैं छुट्टी लेने का प्रयास करता था क्योंकि मुझे मालूम है की मटकी फोड़ प्रतियोगिता का कार्यक्रम जो है कई वर्षों से चला आ रहा है और हम उस में भाग लेते रहे हैं और प्रयास से ही रहता था उनकी कृपा से हमारी नौकरी लगी थी, कई सालों तक तो मैच मटकी फोड़ प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं बन पाया क्योंकि हमारी ट्रेनिंग चल रही थी उसके पश्चात जब भी हमें छुट्टी मिली श्री कृष्ण जी की कृपा से तो मटकी फोड़ प्रतियोगिता में जरूर शामिल हुआ हूं जय श्री कृष्णा!
(3). तत्पश्चात हमने कमलेश पटेल से बात की उन्होंने बताया कि हम भी अपने जीवन काल से ही अनेक कार्यक्रमों में शामिल होते रहे हैं और मटकी फोड़ प्रतियोगिता की श्री कृष्ण के बाल निकाल के बहुत ही रोचक खेलों में से एक था मक्खन चुराना और स्वयं खाती थी मक्खन और अपने साथियों को खिलाते थे बड़ा ही प्यार साथियों के बीच में मित्रता का व्यवहार था ऐसी एकता थी को एकता में आज त्यौहार पर देखने को मिलती है!
(4).और मैं कमलेश विश्वकर्मा ग्रामीण पत्रकार ग्राम नाम मेरा भी अनुभव यही रहा है की जब से मेरा जन्म हुआ है, लगभग उसके कुछ समय बाद से मैं इस परंपरा को और इस खेल को बराबर देखते चला रहा हूं ,और बड़ा ही मन प्रसन्न रहता है घर के सभी सदस्य बुजुर्ग दादाजी
(5).श्रीमान भैया राम विश्वकर्मा जी जो कि हमारे दादा जी थे वह में जब कभी बताते रहते थे इन कार्यक्रमों एवं खेलों के बारे में बड़ा ही उनका अच्छा स्वभाव था, और मैं जब इस कथा को बताते थे क्या इस कार्यक्रम के बारे में बताते थे तो उनके चेहरे के भाव देखकर एक अलग ही खुशी का न हो होता था कि कैसे वह इन कार्यक्रमों में मिलते रहे हैं और अपने सभी दुख तकलीफ है 1 दिन के लिए बुला कर श्री कृष्ण जी के याद में उनके खेल को नाच नृत्य के द्वारा मनाते थे और एकता का भाव बना रहता था!
(6).श्रीमान हरिराम विश्वकर्मा गौरझामर मैं भी 20 साल से रहते हैं, फिर भी उनका कहना है कि हम 20 साल में दुकान बंद कर अपना काम कारोबार बंद कर कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए मटकी तोड़ने के कार्यक्रम को देखने के लिए एवं सम्मिलित होने के लिए अवश्य आती थी इस वर्ष तबीयत खराब होने की वजह से वह नहीं आ पाए और उन्होंने बताया की आज बहुत ही मन था बहुत ही अच्छा लगता था उस कार्यक्रम में शामिल होते थे परंतु वह उम्र बीत गई निकल गई और मन अशांत और दुखी है!
चाचा जी श्रीमान तुलसीराम विश्वकर्मा जोकि पेशे से प्रशासन से मिस्त्री हैं मकानों का काम करते हैं उन्होंने बताया कि मैं यहां पर भी कई वर्षों से मकानों का काम करता रहा हूं बनाता रहा हूं और उसके बाद भी मटकी तोड़ प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम में शामिल होता था और बड़ा ही मन को प्रसन्न कर देने वाला एक कार्यक्रम थे एक दूसरे को जोड़ने वाले थे और आज भी वह कार्यक्रम एक दूसरे को जोड़ते हैं कार्यक्रमों में शामिल होने में बहुत ही अच्छा महसूस होता है कुछ समय के लिए ही सही एक दूसरे के गम बांटे जा सकते हैं और ईश्वर की भक्ति के रूप में उनके बाल निकाल को याद कर सकते हाय और आज अस्वस्थता के कारण वह नहीं आ पाए मन बहुत ही व्याकुल है !
(7). कमलेश विश्वकर्मा के पिता श्रीमानजानकी प्रसाद विश्वकर्मा जी ने वी बताया कि इस कार्यक्रम में बहुत ही प्रसन्नता हर्षोल्लास और मन को सुकून मिलता है और श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है और सभी अपने अपने कामों को इस दिन छोड़ देते हैं चाहे वह कितना ही महत्वपूर्ण कार्य हो इस कार्यक्रम की बहुत ही महानता है और लोगों के प्रति श्री कृष्ण के प्रति बहुत ही भक्ति का भाव लोगों में देखने को मिलता है श्री कृष्ण की बाल काल को याद किया जाता है मटकी फोड़ प्रतियोगिता के कार्यक्रम में स्वयं विमोचन याद आ जाते हैं जो ईश्वर की श्री कृष्ण की मन छू लेने वाली बालिकाओं को हमने जैसे पड़ा तो वह इस कार्यक्रम को देखने के बाद दोहराई जाती हैं माखन चोर माखन खाने की जो कला होती थी बहुत ही अच्छी होती थी और इसके बारे में कक्षा दसवीं की हिंदी गद्य साहित्य कथा में भी बताया गया है!
इस प्रकार हमें नाहर मऊ के कुछ वरिष्ठ जन एवं युवा मंडलों के युवाओं द्वारा विचार एवं इस कथा के बारे में सुनने में आया ग्राम नाहर मऊ में इस प्रकार मटकी फोड़ प्रतियोगिता कार्यक्रम को मनाती रहे हैं और आज भी मनाते आ रहे हैं और विगत वर्षों में इसी प्रकार मनाते रहेंगे ईश्वर श्री कृष्णा को याद करते हुए उनकी कृपा सभी पर बनी रहे और
जयश्री राधे कृष्ण जय श्री राधे कृष्ण जय श्री राधे कृष्णा जय श्री राधे कृष्ण!