Farmers protest:आंदोलन के 7 महीने पूरे, केंद्र सरकार ने भी मुद्दे से हटाया ध्यान...अब किसानों के सामने बड़ी चुनौती- आगे क्या?
- दिल्ली बॉर्डर (Farmers protest at Delhi border) पर चल रहे किसान आंदोलन का एक और बड़ा चेहरा बनकर उभरे राकेश टिकैत ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, 'अपने ट्रैक्टरों के साथ तैयार हो जाओ क्योंकि हमारी जमीनों को बचाने के लिए संघर्ष तेज करना होगा।
26 जून को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को विरोध-प्रदर्शन करते हुए पूरे 7 महीने हो गए हैं। इस मौके पर किसान आज देशभर में राजभवनों के बाहर प्रदर्शन करेंगे और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने जा रहे हैं। इसके अलावा किसान संगठन ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में हैं। किसानों की ट्रैक्टर रैली के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है।
जब से किसान 26 नवंबर, 2020, शाम को दिल्ली की सीमाओं के विरोध के लिए सिंघू और टिकरी पहुंचे, तब से उनके बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले केंद्रीय मंत्री और किसान संगठनों की अंतिम दौर की वार्ता 22 जनवरी, 2021 को हुई थी, लेकिन केंद्र की ओर से एक प्रस्ताव पेश करने के बाद यह टूट गया।
किसानों पर लगे कई आरोप
26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए विरोध को देखते हुए, उन्हें अचानक खालिस्तानी, शहरी नक्सली और देशद्रोही कहा गया। किसान इससे बाहर निकलने में कामयाब रहे हैं और लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रखा, लेकिन उसके बाद कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।
कृषि कानून निरस्त करने की मांग
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल (77) ने कहा, 'यह किसानों के लिए अस्तित्व की बात है। ये कानून किसानों के हितों के खिलाफ हैं, जिन्हें अपनी जमीन खोने का डर है और जो कुछ फसलों (मुख्य रूप से गेहूं, धान) पर उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिल रहा है। हम यहां कानूनों को निरस्त करने और सरकार से सभी किसानों को सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए एक अधिनियम लाने की मांग कर रहे हैं। हम उससे पहले वापस नहीं जा रहे हैं, पूरी तरह से अच्छी तरह से जानते हुए भी कि हमें बहुत सारे हमले का सामना करना पड़ सकता है।'
'किसानों के अस्तित्व के खिलाफ कृषि कानून'
बीकेयू (एकता उग्राहन) के अध्यक्ष और एसकेएम की नौ सदस्यीय शीर्ष समिति के सदस्य जोगिंदर सिंह उगराहन (75) ने कहा, 'भाजपा अभी भी हमारे धैर्य की परीक्षा लेते नहीं थक रही है। तमाम हथकंडे नाकाम होने के बाद अब यह मानहानि का सहारा ले रही है। हम इसका भी सामना करेंगे लेकिन हटेंगे नहीं। ये कानून किसानों की अर्थव्यवस्था, सामाजिक जीवन, आत्मा और अस्तित्व के खिलाफ हैं।'
नहीं हटेंगे पीछे
इन महीनों में पंजाब और हरियाणा के किसान भी एक-दूसरे के साथ खड़े हुए हैं। पंजाब स्थित कृषि समूहों का विरोध हरियाणा में ग्रामीणों के सक्रिय समर्थन से चलाया जा रहा है। एक किसान नेता ने कहा कि कई लोगों को लगता है कि यह एक मरा हुआ मुद्दा है लेकिन हम लोग किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे।
राकेश टिकैत बोले,'नहीं जाएंगे वापस'
आंदोलन का एक और बड़ा चेहरा बनकर उभरे राकेश टिकैत ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, 'अपने ट्रैक्टरों के साथ तैयार हो जाओ क्योंकि हमारी जमीनों को बचाने के लिए संघर्ष तेज करना होगा। केंद्र सरकार को यह सोचना बंद कर देना चाहिए कि किसान वापस जाएंगे। मांगें पूरी होने पर ही किसान वापस जाएंगे। हमारी मांग है कि तीनों कानूनों को निरस्त किया जाए और एमएसपी पर कानून बनाया जाए।'