लखीमपुर कांड: SIT ने UP सरकार से दो बार की थी आशीष मिश्रा की बेल कैंसिल करने की सिफारिश
- समिति ने कोर्ट में बताया कि मामले की जांच कर रही एसआईटी ने यूपी सरकार से दो बार सिफारिश की थी कि वह आशीष मिश्रा की बेल को रद्द कराए। रिपोर्ट में कहा गया कि आशीष मिश्रा भी मौके पर ही था।
लखीमपुर केस में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त की गई समिति ने अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी है। इस समिति ने कोर्ट में बताया कि मामले की जांच कर रही एसआईटी ने यूपी सरकार से दो बार सिफारिश की थी कि वह आशीष मिश्रा की बेल को रद्द कराए। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आशीष मिश्रा उस वक्त मौके पर ही मौजूद था, जब लखीमपुर खीरी में कार किसान आंदोलनकारियों पर चढ़ गई थी। इसमें 4 किसान मारे गए थे, जबकि उसके बाद भड़की हिसा में 4 और लोगों की मौत हो गई थी। इस तरह से हिंसा के चलते कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी। यही नहीं आशीष मिश्रा को इस बात भी जानकारी थी कि एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जिले में पहुंचे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का रूट बदल गया है।
आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उसने लखीमपुर खारी में आंदोलनकारी किसानों पर कार चढ़ा दी थी, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी। लंबी चली बहस के बाद इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था और उसकी सिफारिश के बाद आशीष मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बेल मिल गई थी। उच्च न्यायालय के इस फैसले को मृतक किसानों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर 30 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल पूछा था कि आखिर उसने आशीष मिश्रा की बेल का विरोध क्यों नहीं किया था।
SC के सवाल पर बोली थी यूपी सरकार- हमने किया था पुरजोर विरोध
इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने जवाब दिया था कि उसकी ओर से आशीष मिश्रा की बेल का पुरजोर विरोध किया गया था। यही नहीं यूपी सरकार का कहना था कि उसने लखीमपुर खीरी कांड के गवाहों को पूरी सुरक्षा भी दी थी। आशीष मिश्रा को 9 अक्टूबर को लखीमपुर कांड के आरोपी के तौर पर अरेस्ट किया गया था। इसके बाद 14 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की ओर से 14 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत का आदेश दिया गया था। आशीष मिश्रा को 3 लाख रुपये के दो मुचलकों के आधार पर बेल दी गई थी।