Pegasus Project: संसद में बोले संचार मंत्री Ashwini Vaishnaw, फोन सर्विलांस की रिपोर्ट को बताया गलत
- सरकार ने एक बार फिर कथित पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) रिपोर्ट को गलत बताया है. सरकार ने कहा है कि रिपोर्ट में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर बताया गया है.
पत्रकारों और एक्टिविस्टों के कथित पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) मामले में सरकार ने एक बार फिर अपना पक्ष सामने रखा है. सरकार ने कहा कि देश में फोन सर्विलांस (Phone Surveillance) के लिए एक कानून सम्मत सिस्टम बना हुआ है और सरकार उसी के अनुसार काम करती है.
मंत्री ने संसद में रखा सरकार का पक्ष
मंत्री ने कहा कि कथित 'Pegasus Project' पर सामने आई रिपोर्ट को देखने से साफ पता चलता है कि उसमें एक खास अवधारणा के आधार पर काम किया गया है. जिसमें न तो कोई तथ्य है और न लॉजिक. ऐसा लगता है कि भारत की छवि को धूमिल करने के इरादे से यह रिपोर्ट तैयार की गई है.
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, ‘रविवार रात को एक वेब पोर्टल ने बेहद सनसनीखेज खबर प्रकाशित की. यह प्रेस रिपोर्ट संसद के मॉनसून सत्र के एक दिन पहले सामने आई. यह संयोग नहीं हो सकता है. अतीत में वॉट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल करने का दावा सामने आया. इन खबरों का तथ्यात्मक आधार नहीं है और सभी पक्षों ने इससे इनकार किया है.’
'इन संस्थानों ने किया इंटरसेप्शन का दावा'
दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों के कंसोर्टियम ने दावा किया है कि विभिन्न सरकारें अपने यहां पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों की जासूसी करा रही है. रविवार को पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत कई देशों में करीब 180 पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी की गई. इसके लिए इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के हैकिंग साफ्टवेयर पेगासस (Hacking Software Pegasus) का इस्तेमाल किया गया.
रिपोर्ट में आशंका जताई गई कि भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश समेत बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबरों को हैक किया गया.