यूपी चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका, बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद
South East Delhi, Delhi, India
- जितिन "G-23" या कांग्रेस के उन 23 नेताओं के समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने पार्टी में सुधार की जरूरत बताते हुए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था.
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राहुल गांधी के एक समय बेहद करीबी माने जाने वाले कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी मुख्यालय में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. यूपी में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले जितिन का बीजेपी से जुड़ना, कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.इस ' बदलाव' के पहले जितिन की केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ मुलाकात हुई थी. 47 वर्षीय जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद बीजेपी में जाने वाले राहुल गांधी के दूसरे सबसे करीबी नेता हैं ज्योतिरादित्य ने पिछले साल बीजेपी ज्वॉइन की थी.
कांग्रेस से 20 साल से जुड़े रहे जितिन की नाराजगी किसी से छुपी नहीं थी. वे उस "G-23" या कांग्रेस के उन 23 नेताओं के समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने पार्टी में व्यापक सुधार की जरूरत बताते हुए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने पार्टी में पूर्णकालिक नेतृत्व की आवाज बुलंद की थी.वैसे, इस लेटर के बाद भी जितिन उन नेताओं में थे जिन्हें 'असंतोष' जताने के बावजूद पार्टी में कोई भूमिका दी गई थी. उन्हें पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के प्रचार अभियान से जोड़ा गया था लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था.जितिन ने बंगाल चुनाव में उनकी पार्टी की ओर से इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ किए गए गठबंधन की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी.जितिन ने ट्वीट किया था, 'गठबंधन के निर्णय पार्टी और कार्यकर्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं. अब समय है कि सभी हाथ मिलाएं और चुनावी राज्यों में कांग्रेस की संभावनाओं को मजबूत करने की दिशा में काम करें.'
यूपी की धौराहरा सीट से पूर्व सांसद रहे जितिन, राज्य में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक रहे. 'लेटर बम' मामले के बाद यूपी कांग्रेस ने जितिन के खास उल्लेख के साथ G-23 के नेताओं पर कार्रवाई की मांग की थी. इस कार्रवाई को पक्ष में जितिन के परिवार की गांधी परिवार के प्रति 'संदिग्ध निष्ठा' का उल्लेख किया था. जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद ने वर्ष 1999 में पार्टी में सोनिया गांधी के नेतृत्व को चुनौती दी थी और उनके खिलाफ पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था.