कम हो रही हैं खाद्य तेल कीमतें, 20 फीसद तक की गिरावट: सरकार
- केंद्र सरकार ने का दावा है कि पिछले एक महीने में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आना शुरू हो गई है और कुछ मामलों में तो यह लगभग 20 फीसद तक घटी है।
केंद्र सरकार ने का दावा है कि पिछले एक महीने में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आना शुरू हो गई है और कुछ मामलों में तो यह लगभग 20 फीसद तक घटी है। भारत द्वारा घरेलू मांग को पूरा करने के लिए काफी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करने की बात को रखते हुए, केंद्र ने कहा कि वह देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ''मध्य और दीर्घकालिक उपायों की श्रृंखला पर काम कर रही है।एक सरकारी बयान में कहा गया है, ''भारत में खाद्य तेल के विभिन्न प्रकार के तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख दिख रहा है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने के मुकाबले खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आ रही है।बयान में कहा गया है कि कुछ मामलों में, गिरावट लगभग 20 फीसद तक है, जैसा कि मुंबई में दिखता है।
सरसों तेल 175 से 157 रुपये प्रति किलोग्राम तक आया
सरकार ने उदाहरण देते हुए कहा कि पॉम तेल की कीमत सात मई को 142 रुपये प्रति किलोग्राम थी और अब यह 19 फीसदी की गिरावट के साथ 115 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है।इसी तरह, सूरजमुखी तेल की कीमत 16 फीसद गिरकर 157 प्रति किलोग्राम रह गई है, जो 5 मई को 188 रुपये प्रति किलोग्राम थी।सोया तेल की कीमत 20 मई को 162 रुपये प्रति किलोग्राम थी और अब मुंबई में यह घटकर 138 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है। बयान में कहा गया है, ''सरसों के तेल के मामले में, 16 मई, 2021 को कीमत 175 रुपये प्रति किलोग्राम थी। अब, यह घटकर 157 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है, जो लगभग 10 फीसद की गिरावट है।मूंगफली तेल की कीमत जो 14 मई को 190 रुपये प्रति किलो थी, वह घटकर 174 रुपये प्रति किलो रह गई है। वनस्पति की कीमत दो मई को 154 रुपये प्रति किलोग्राम से आठ फीसद घटकर 141 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है। बयान में कहा गया है, ''खाद्य तेल की कीमतों में घट बढ़ के कई कारण हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कीमतों, घरेलू उत्पादन के स्तर जैसे कारकों का भी योगदान होता है। इसमें कहा गया है, ''चूंकि घरेलू खपत और उत्पादन के बीच का अंतर अधिक है, इसलिए भारत को बड़ी मात्रा में खाद्य तेल का आयात करना पड़ता है। सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे को स्थायी आधार पर हल करने के लिए वह मध्य और दीर्घकालिक उपायों की एक श्रृंखला पर काम कर रही है। बयान में कहा गया है, ''ये उपाय भारत को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनने में योगदान देंगे।