22 साल बाद बेटे ने पूरा किया मां का सपना, पिता की तरह पहनी सेना की वर्दी, बर्थडे से एक दिन पहले बने लेफ्टिनेंट
- जून 1999 में जब भारतीय सेना कारगिल के मोर्चे पर दुश्मन से लोहा ले रही थी, तब दिल्ली आर्मी बेस हॉस्पिटल में भर्ती एक मां अपने गर्भ में पल बच्चे को सेना में भर्ती करने का सपना देख रही थीं।
जून 1999 में जब भारतीय सेना कारगिल के मोर्चे पर दुश्मन से लोहा ले रही थी, तब दिल्ली आर्मी बेस हॉस्पिटल में भर्ती एक मां अपने गर्भ में पल बच्चे को सेना में भर्ती करने का सपना देख रही थीं। इसी उधेड़बुन में प्रसव पीड़ा से जूझ रही मां ने बेटे को जन्म दिया। शनिवार को उस बेटे ने 22 साल बाद अपनी मां के संकल्प को साकार कर दिखाया।आईएमए देहरादून की पासिंग आउट परेड में शनिवार को लेफ्टिनेंट बने विक्रांत शर्मा उस वक्त पैदा हुए जब देश की सेना कारगिल यद्ध लड़ रही थी। उनके पिता ओमदत्त शर्मा सेना पुलिस में हैं, जो उस वक्त जम्मू में तैनात थे। कासन गुरुग्राम हरियाणा निवासी सूबेदार मेजर ओमदत्त धर्मपत्नी सुदेश शर्मा और बेटी नीतू शर्मा के साथ बेटे की पीपीओ में शामिल हुए।सुदेश शर्मा बताती हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान विक्रांत उनके गर्भ में पल रहे थे। उन्होंने संकल्प लिया था कि अगर बेटा हुआ तो वह उसे सेना में भेजेंगी। 13 जून 1999 को उन्हें विक्रांत के रूप में बेटा मिला। बचपन से विक्रांत को सैन्य पृष्ठभूमि का माहौल मिला। विक्रांत की भी सेना में दिलचस्पी दिखी। घर में बचपन से ही विक्रांत को परिजन कैप्टन साहब कहकर बुलाते हैं।विक्रांत ने मां के संकल्प को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मेहनत की तो मंजिल आसान होती चली गई। विक्रांत की स्कूलिंग केंद्रीय विद्यालय दिल्ली से हुई। उनकी बहन नीतू के पति भी एयरफोर्स में फाइटर पायलट हैं। पिता ओमदत्त शर्मा की आईएमए देहरादून में भी तैनाती रह चुकी है। वह इस वक्त बतौर सूबेदार मेजर सेना पुलिस में सेवाएं दे रहे हैं। सैन्य वर्दी में पिता बेटे की पासिंग आउट परेड का हिस्सा बने। जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले विक्रांत के सैन्य अधिकारी बनने पर परिजन दोगुनी खुशी का अहसास कर रहे थे।