Saturday, February 20, 2021
अर्धकुंभ 2021: ये तस्वीरें देखकर खुद को वृंदावन जाने से नहींं रोक पाएंगे आप
Location:- North Delhi, Delhi, India
वृंदावन में कुंभ के शुभारंभ के साथ ही साधु-संतों ने अपना डेरा जमा लिया है. वहीं भक्तों की संख्या भी रोजाना बढ़ रही है. भक्तों में उत्साह है और हो भी क्यों न सरकार और प्रशासन की ओर से वृंदावन को इस कुंभ बैठक के लिए बहुत ही भव्य रूप दिया गया है वृंदावन में कुंभ का शुभारंभ बसंत पंचमी को तीन प्रमुख अखाड़ों के संतों ने ध्वजारोहण कर किया था. सुबह से चहल-पहल भरे इस कुंभ मेला की छटा शाम होते ही बदल जाती है. दुल्हनों की तरह सजा वृंदावन रंग-बिरंगी दिव्यता से भर जाता है. पंचमी के बाद से ही वृंदावन में कुंभ के लिए भक्तों का आना शुरू हो चुका है. ऐसे में यहां यमुना की तलहटी से लेकर परिक्रमा मार्ग तक को बेेहद सुंदर तरीके से सजाया गया है यमुना के घाटों को भी पूरी तरह साफ कर दिया गया है. इसके साथ ही घाटों के आसपास दूधिया रोशनी से भर दिया गया है वृंदावन के वैष्णव बैठक स्थल पर देवराहा बाबा घाट का निर्माण किया गया है. साथ ही इसे रंगीन लाइट से भव्य रूप भी दिया गया है. कुंभ में दिन भर यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है.शाम होते ही वृंदावन में यमुना का किनारा जगमगाने लगता है. वहीं रात में यह और भी भव्य दिखाई दे रहा है वृंदावन परिक्रमा मार्ग और यमुना किनारे मौजूद पेड़-पौधों को रोशनी से जगमग कर दिया गया है. जो रात में जादुई पेड़ से दिखाई देते हैं यमुना के ऊपर एक पुल भी बनाया गया है. जहां से पूरे कुंभ क्षेत्र तक पहुंचा जाता है. इसके साथ ही यमुना में नाव भी चल रही हैं और भक्त नौकाविहार का आनंद भी ले रहे हैं कुंभ के चलते अब यमुना किनारे देर रात तक भक्तों की भीड़ लग रही है. बाहर से आने वाले लोगों के अलावा स्थानीय लोग भी रोजाना यहां दर्शन करने पहुंच रहे हैं यमुना की रेती पर यहां तीन प्रमुख वैष्णव अखाड़ों के अलावा खालसाओं के बैठक स्थल बनाए गए हैं. वहीं कई ऐसे साधु-संत हैं जो खुले में साधना करते रहते हैं स्थानीय लोगों और संतों का कहना है कि यह वैष्णव कुंभ है ऐसे में यहां नागा साधुओं को जगह नहीं दी गई है.वृंदावन में पिछले एक महीने से कुंभ की तैयारियां जोरों से चल रही थीं. इसका पहला शाही स्नान 27 फरवरी को होने जा रहा है विद्वानों का कहना है कि प्राचीन परंपराओं के अनुसार यहां गरुड़ भगवान ने अमृत कलश लेकर आराम किया था इसलिए इसे कुंभ पूर्व बैठक भी कहा जाता है इस कुंभ में ब्रज की संस्कृति को भी दिखाया गया है. साथ ही राधा-कृष्ण के अद्भुत प्रेम की झांकियांं भी हैं.