PRSU : एक दाखिले में स्नातक से पीजी तक की डिग्री
- प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय में नए शैक्षिक सत्र में नई शिक्षा नीति के तहत अलहदा पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे। इसके तहत छात्रों को एक बार प्रवेश प्रक्रिया का हिस्सा बनना होगा। इसके बाद वह परास्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगे।
प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय में नए शैक्षिक सत्र में नई शिक्षा नीति के तहत अलहदा पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे। इसके तहत छात्रों को एक बार प्रवेश प्रक्रिया का हिस्सा बनना होगा। इसके बाद वह परास्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। शासन के निर्देश के बाद पीआरएसयू में स्नातक का नया पाठ्यक्रम डिजाइन किया गया है। इसके तहत स्नातक में प्रवेश लेने के बाद छात्रों को पीजी में स्वत: प्रवेश मिल जाएगा। क्योंकि स्नातक लेवल विद्यार्थियों को प्रवेश इंटीग्रेटेड के जरिए मिलेगा। साथ ही बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद यदि छात्र चाहेगा तो वह आगे की पढ़ाई कर सकेगा। इस तरह के पाठ्यक्रमों के संचालन को बोर्ड ऑफ स्टडीज से मंजूरी मिल गई है। अब इसे एकेडमिक काउंसिल और कार्य परिषद में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। मंजूरी मिलते ही नए शैक्षिक सत्र 2021-22 में प्रभावी तौर से लागू कर
दिया जाएगा।कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत जो कॉमन मिनिमम सिलेबस तैयार किया गया है वह केवल स्नातक स्तर के लिए है। जिसमें स्नातक के सभी पाठ्यक्रम सेमेस्टर आधारित बनाए गए हैं। साथ ही मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के तहत सिलेबस बना है।हरेक सेमेस्टर में होगी क्रेडिट और ग्रेडिंग : नई शिक्षा नीति के तहत हरेक सेमेस्टर में क्रेडिट और ग्रेडिंग निर्धारित किया गया है। अगर कोई छात्र एक साल की स्नातक की पढ़ाई करके छोड़ देता है और आगे फिर अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहता है तो इसी क्रेडिट के आधार पर उसे अपना कोर्स पूरा करने की सुविधा दी जाएगी।
चार साल में मिलेगी मास्टर विद रिसर्च की डिग्री
प्रो. सिंह ने छह सेमेस्टर में स्नातक पाठ्यक्रम बनाया गया है। एक साल में दो सेमेस्टर का सिलेबस सर्टिफिकेट कोर्स के लिए बनाया गया है। दो साल में चार सेमेस्टर डिप्लोमा और तीन साल में छह सेमेस्टर का कोर्स स्नातक के लिए तैयार किया गया है। चार साल पूरा करने पर ‘रिसर्च के साथ स्नातक’ (मास्टर विद रिसर्च) और पांच साल पूरा करने पर परास्नतक की डिग्री मिलेगी। परंपरागत पाठ्यक्रमों को भी रोजगारपरक बनाने की कोशिश की गई है। भूगोल, समाजशास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र जैसे परंपरागत विषयों में अतिरिक्त कार्यक्रम भी जोड़े गए हैं।