Sunday, February 14, 2021
US का सख्त संदेश- WHO एक्सपर्ट्स को शुरुआती कोरोना डेटा मुहैया कराए चीन
Location:- Albany, New York, America
वाशिंगटन. अमेरिका ने शनिवार को कहा कि चीन को कोविड-19 (Covid-19) फैलने के प्रारंभिक दिनों से लेकर अब तक के आंकड़े विश्व को उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि महामारी के बारे में बेहतर अनुसंधान हो सके और आने वाले समय में हम ऐसी महामारी के प्रति सतर्क हो सकें.
कोविड-19 का पहला मामला चीन (China) के वुहान शहर में पिछले साल दिसंबर 2019 में सामने आया था. इसके बाद से विश्वभर में करीब 11 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और करीब 24 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के अनुसार अमेरिका में संक्रमण के 2,71,89,188 मामले सामने आ चुके हैं और 4,68,103 लोगों की मौत हो गई.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कड़े शब्दों वाला बयान जारी किया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को कोविड-19 फैलने की प्रारंभिक जांच की जिस तरह से जानकारी मुहैया कराई गई, उस पर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कड़े शब्दों वाला बयान जारी किया है. उन्होंने कहा, 'कोविड-19 (Covid-19) फैलने की प्रारंभिक जांच की जानकारी जिस तरह से मुहैया कराई गई, उससे हम चिंतित हैं. यह जरूरी है कि यह रिपोर्ट स्वतंत्र हो, इसमें विशेषज्ञों की राय शामिल हो और इसमें चीनी सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं हो.' उन्होंने कहा, 'इस महामारी को समझने और आने वाले समय में ऐसी महामारी से निपटने की तैयारी करने के लिए चीन को कोविड-19 फैलने के प्रारंभिक दिनों से लेकर अब तक के आंकड़े उपलब्ध कराने चाहिए.'
सुलिवन ने कहा, 'चीन समेत सभी देशों को स्वास्थ्य आपदा को रोकने के प्रति पारदर्शी प्रकिया अपनानी चाहिए, ताकि दुनिया को जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा इसका लाभ मिल सके.'
चीन ने WHO को विस्तृत आंकड़े देने से किया था इनकार
इससे पहले चीन ने WHO की टीम को वुहान शहर में सबसे पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए मरीजों के आंकड़ों का रॉ डेटा देने से मना कर दिया था. कोरोना वायरस की वजह से फैली महामारी की जड़ तक पहुंचने के लिए WHO की एक टीम जांच पड़ताल कर रही है. इसी मकसद के साथ चार हफ्तों के लिए यह टीम चीन पहुंची थी. यहां दो हफ्ते टीम को क्वरंटीन रहना पड़ा.
जांच के लिए मांगने पर टीम को रॉ डेटा देने की जगह एक संक्षिप्त रिपोर्ट सौंपी गई थी. टीम के एक सदस्य ने बताया कि रॉ डेटा में उस मरीज का नाम नहीं होता है. लेकिन उससे क्या सवाल पूछे गए और क्या जवाब मिला और इस वार्तालाप का विश्लेषण शामिल होता है. लिहाजा मरीज की पहचान उजागर नहीं होती है लेकिन यह डेटा हमें महामारी की जड़ तक पहुंचने में मददगार साबित होगा.