आर्थिक मोर्चे पर पहली के मुकाबले दूसरी लहर कम घातक: आरबीआई
- मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान हुई चर्चा के दौरान मौद्रिक नीति समिति के एक सदस्य ने ये माना कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर पहली के मुकाबले आर्थिक मोर्चे पर कम घातक रही है।
मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान हुई चर्चा के दौरान मौद्रिक नीति समिति के एक सदस्य ने ये माना कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर पहली के मुकाबले आर्थिक मोर्चे पर कम घातक रही है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि महामारी के स्वरूप को देखते हुए आने वाले दिनों के आर्थिक हालात का आंकलन भरोसेमंद नहीं रहता है।इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद के प्रोफेसर जयंत आर वर्मा ने 2 से 4 जून को हुई बैठक के दौरान कहा था कि जो आर्थिक रिकवरी 2021 के शुरुआती महीनों में दिख रही थी वो कोरोना की दूसरी लहर की गिरफ्त में आ गई। हालांकि इसका आर्थिक असर कम भयानक था। इसके पीछे उन्होंने ये तर्क दिया कि जिस हिसाब से दूसरी लहर अपने शिखर से नीचे आ गई है, ये उम्मीद जताई जा सकती है कि यहां से जल्द आर्थिक हालात सुधरेंगे।उन्होंने ये भी कहा कि जिस तरह से महामारी का असर और स्वरूप दिखाई दे रहा है इसे लेकर भविष्यवाणी ज्यादा भरोसेमंद नहीं कही जा सकती है। उनके मुताबिक इससे जिस हिसाब से स्वास्थ्य पर चोट हो रही है, आने वाले दिनों में लोग एहतियातन बचत की तरफ ज्यादा ध्यान देंगे। बचत बढ़ने से मांग पर अगली कुछ तिमाहियों तक असर देखने को मिल सकता है।भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी किए गए मौद्रिक नीति समीक्षा के मिनट्स में इस बार की तरफ भी इशारा किया गया है कि अगले कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दामों से महंगाई बढ़ने की आशंका बनी हुई है। आरबीआई ने अपने आउटलुक में बताया है कि कच्चे तेल के दाम बढ़ने से लॉजिस्टिक कॉस्ट भी बढ़ेगी जिससे महंगाई के ऊपर रहने की आशंका है।ये भी सुझाव दिया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लगाई जाने वाली एक्साइज ड्यूटी, सेस के साथ साथ दूसरे टैक्सों के बीच का ताल मेल इस तहस से बिठाया जाए ताकि पेट्रल और डीजल की लागत पर दबाव कम हो सके। इसके अलावा ये भी उम्मीद जताई गई है सामान्य दक्षिण-पश्चिम मॉनसून और अनाज के पहले से मौजूद से अनाजों के दाम पर आ रहे दबाव को घटाया जाना चाहिए। साथ ही बजार में सप्लाई की दिशा में आ रही रुकावट को दूर करने भी प्रयास होते रहने चाहिए।