कोर्ट केस का असर: बिहार प्रशासनिक सेवा व सचिवालय सेवा के प्रोन्नति वाले 2264 पद खाली
- राज्य सेवाओं के अधीन प्रोन्नति पर रोक का असर साफ दिख रहा है। दो साल से अधिक समय से प्रोन्नति बाधित होने के चलते बड़ी तादाद में पद खाली पड़े हैं।
राज्य सेवाओं के अधीन प्रोन्नति पर रोक का असर साफ दिख रहा है। दो साल से अधिक समय से प्रोन्नति बाधित होने के चलते बड़ी तादाद में पद खाली पड़े हैं। बिहार प्रशासनिक सेवा और बिहार सचिवालय सेवा से ही जुड़े प्रोन्नति वाले 2200 से ज्यादा पद खाली हैं। अन्य सेवाओं में भी प्रोन्नति बाधित होने से हजारों पद नहीं भरे जा सके हैं।बिहार प्रशासनिक सेवा के अधीन प्रोन्नति वाले पदों की संख्या 907 है। पर महज 438 पदों पर ही अधिकारियों की तैनाती है। जितने पद भरे हैं उससे ज्यादा 469 खाली पड़े हैं जो कि कुल पदों का 52 प्रतिशत होता है। वहीं बिहार सचिवालय सेवा में प्रोन्नति से भरे जानेवाले कुल पदों की संख्या 2398 है। सचिवालय सेवा में स्थिति और भी खराब है। प्रोन्नति वाले मात्र 603 पद ही भरे हैं जबकि 1795 खाली हैं। इसी तरह बिहार आशुलिपिक सेवा में भी प्रोन्नति से भरे जानेवाले पद बड़ी संख्या में रिक्त पड़े हैं। 468 में 316 पद खाली हैं।प्रोन्नति वाले पद बेहद अहम बिहार प्रशासनिक सेवा के अधीन प्रोन्नतिवाले पदों की संख्या पांच है। ये पद उप सचिव, अपर जिला दंडाधिकारी, संयुक्त सचिव, अपर सचिव और विशेष सचिव के हैं। वहीं सचिवालय सेवा के अधीन प्रशाखा पदाधिकारी, अवर सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर के संयुक्त सचिव का पद प्रोन्नति वाले पद हैं।11 अप्रैल 2019 से रोक राज्य सरकार के अधीन नौकरियों में प्रोन्नति पर अप्रैल 2019 से रोक लगी है। 11 अप्रैल 2019 को राज्य सरकार ने विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक पर रोक लगा दी थी। पटना उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद यह आदेश जारी किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय चली गई। मामला न्यायालय में विचाराधीन है।बासा अध्यक्ष शशांक शेखर सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार में प्रोन्नति अवरुद्ध होने से अधिकारियों-कर्मचारियों का मनोबल नीचले स्तर पर आ चुका है। आर्थिक नुकसान के साथ प्रतिष्ठा की भी हानि हो रही है। अखिल भारतीय सेवा और न्यायिक सेवा में ससमय प्रोन्नति हो रही है पर राज्य सरकार के कर्मचारियों की प्रोन्नति बाधित है। प्रोन्नति देना राज्य सरकार का दायित्व है। वर्तमान स्थिति से उबारने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, सरकार को रास्ता निकालना चाहिए।