ट्यूमर जैसी घातक बीमारी से जूझ रहा नवयुवक अब सरकार दे सहारा
ट्यूमर जैसी घातक बीमारी से जूझ रहा नवयुवक गरीब होने के कारण नहीं करा पा रहा दवा अब सरकार को लगाई गुहार
मौत की ताक में बैठा गरीब सरकार द्वारा नहीं दी जा रही मदत ,मऊगंज विधानसभा के हनुमना जनपद के ग्राम पंचायत पांती मिश्रान में भोला कोल के पुत्र को हुआ ब्रेन ट्यूमर लगभग 4 वर्ष से बीमार इस लड़के की आंखों की रोशनी चली गई, भोला कोल के मुताबिक चार वर्षो से इलाज चल रहा था पर डॉक्टरों द्वारा किसी भी प्रकार से राहत नही दी गई और जब तक पैसे थे तब तक इलाज चला और अब भगवान भरोसे दिन दुखियार ,ऐसे में आज के भारत में जहां चहुओर स्वास्थ और प्रगति की गाथा गाई जा रही ऐसे स्थिति में इस प्रकार की छवि आ जाना देश के सिस्टम पर सवाल खड़ा कर देता है, जहां गरीबों को अपना सब कुछ मानने वाली सरकार चंद दिनों में बिसरा जाती है,और गरीब अपनी जमीन बेच बेच कर अपने बीबी बच्चो के इलाज में तौल देता है,ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार भोला कोल ने अपनी जमीन बेच बेच कर अपने लाडले के इलाज में लगा डाला, ना कोई नेता नजर आया ना कोई प्रशासन , होसकता है आपके लाडले सही सलामत हो सब कुछ कुशल मंगल हो पर इस गरीब का क्या,क्या मानवता के हिसाब से ये आपका कोई नहीं लगता,क्या आदम जात से ये इंसान का बच्चा आपका कुछ नहीं लगता, परिवर्तन कहा आएगा आत्मनिर्भर कौन बनेगा अंबानी या अदानी के बेटे , नही देश तब आत्मनिर्भर बनेगा जब भोला कोल का जैसे गरीबों को सरकार प्रशासन का कंधा मिलेगा इनको जब कोई खड़ा करने वाला मिलेगा, भोला कोल ने बनारस जैसे अस्पतालों के दरवाजे खट खटाए तो डॉक्टरों द्वारा बोल दिया गया की आपके बेटे को बहुत बड़ी बीमारी है, डॉक्टर क्यों बोला क्यों की इस बीमारी से बचने के लिऐ भोला कोल के बेटे की हैसियत नहीं, अरे भोला को तो ये भी नही पता की उसके बेटे को कौन सा मर्ज है, उसको तो ये पता की बस कोई सहारा दे दे मेरा लाल उच खड़ा हो जाए, फिर से खेलने दौड़ने लगे उसके बुढ़ापे का सहारा बन जाए फिर से अपनी आंखो से सब देखने लग जाए,क्यों की भोलाकोल एक बाप है,वही भोला कोल की बीबी प्रयागराज गई है काम करने अंत समय में बेटे को छोड़ के उसकी जिंदगी की रक्षा करने के लिऐ खेतो में काम करके उसकी दवा का बंदोबस्त करने क्या की सबसे बड़ी योद्धा मां होती है वह जननी होती,प्रदीप पटेल जी ,शिवराज जी,मोदी जी ये आपके भारत की कहानी है ये हालत आपके इसी देश के गरीब की ,रीवा के अस्पतालों का हाल जरा देखिए की लोग उम्मीद लेकर जाते है ,पर उन्हें भर्ती कर टाइम पास किया जाता और घर वापस भेज दिया जाता है ये कह कर की आपके बेटे को बड़ी बीमारी है नहीं बचेगा पर भगवान की शक्ति तो देखिए ये कहे २ वर्ष हो गया पर पीड़ित बालक का बाल भी बाका नहीं हुआ ,BMO,CMO की पोस्ट में बैठे वो अधिकारी अगर उनके घर की यही हालत हो तो क्या चुप बैठेंगे नहीं अमेरिका जैसे देश है ना ,वो वहा तक सोच सकते है क्योंकि धन है,पर भोलकोल की सोच रीवा मिर्जापुर तक ही सीमित है, आंखो की रोशनी जरूर गई है पर जीने की उम्मीद पता नहीं क्यों बनी है, शायद आपके छोड़े से एक प्रयास से फिर से हसे खिले, एक बार उठाओ तो सही दौड़ तो जाएगा मीडिया के माध्यम से आग्रह है रीवा के तमाम अधिकारी चाहे कलेक्टर हो या विधान सभा स्तर के हो या ब्लॉक स्तर के हो हम सब मिलकर एक प्रयास करते है। ऐसे में सरकार से गुहार
The National fact media
अंकित शुक्ला