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Party leader पार्टी नेता, Leaders नायक Location:-Sehore, Madhya Pradesh, India

माननीय राज्यपाल दिवंगत श्री लालजी टंडन जी के चरणों में श्रद्धांजलि!

22 Jul 2020

आज मंत्रालय में मंत्रिमंडल के साथियों के साथ मध्यप्रदेश के माननीय राज्यपाल दिवंगत श्री लालजी टंडन जी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धेय टंडन जी जीवन भर राष्ट्रसेवा में लगे रहे। हर क्षेत्र में उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा। वे सात्विक जीवन और शुचिता के प्रतीक थे। मध्यप्रदेश के राज्यपाल के रूप में उन्होंने हमें सदैव जनहित के लिए प्रेरणा दी। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उनके नवाचारों से हमें बहुत उम्मीदें थी। उन्होंने राजभवन में गौशाला प्रारम्भ की थी। गौशाला को सेल्फ सफीशिएंट बनाना उनका लक्ष्य था। गौकाष्ठ के बारे में भी वे बात करते थे। 12 अप्रैल 1935 को श्रद्धेय टंडन जी का जन्म हुआ। सात दशकों तक उन्होंने सार्वजनिक जीवन को जीवंतता के साथ जीया। समाज के हर वर्ग से उनके गहरे संबंध थे। सभी को साथ लेकर चलने की उनमें अद्भुत शक्ति थी। उत्तरप्रदेश में बसपा व भाजपा का गठबंधन करने के सूत्रधार वही थे। श्रद्धेय टंडन जी 1978 में उत्तरप्रदेश विधान परिषद में पहुँचे थे। नेता प्रतिपक्ष के रूप में शालीन रहकर सरकार का कैसे विरोध किया जा सकता है, यह उन्होंने सिद्ध किया। वरिष्ठ मंत्री होने के नाते उनका हर कदम प्रगति की नई दास्ताँ लिखता चला गया। श्रद्धेय टंडन जी पाँच बार उत्तरप्रदेश सरकार में मंत्री रहे। अपने प्रशासनिक कौशल, दूरदृष्टि और संकल्पशक्ति से उन्होंने प्रदेश के करोड़ों नागरिकों को सीधा लाभ पहुँचाया। अंत्योदय की अवधारणा को उन्होंने ज़मीन पर उतारा। उत्तरप्रदेश में गरीब तबके के लोगों को मकान का मालिक बनाने की योजना उन्होंने साकार की। आवास के साथ फलदार वृक्ष और एक दुधारू पशु देने की परंपरा श्रद्धेय टंडन जी ने वहाँ शुरू की। गरीबी उन्मूलन के लिए श्रद्धेय टंडन जी ने अभूतपूर्व कार्य किये। सामुदायिक केन्द्र, रैन बसेरों का कायाकल्प और मथुरा में खारे पानी की समस्या का समाधान कर उन्होंने आमजन के जीवन की कठिनाइयों को दूर करने का हरसंभव प्रयास किया।

हरिद्वार में हर की पौड़ी में टंडन जी ने 5 किमी घाट बनवाकर श्रद्धालुओं को अर्पित किया। अयोध्या मामले के प्रभारी रहते हुए 42 एकड़ भूमि श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंपने का काम जिस तत्परता व संकल्पबद्धता के साथ उन्होंने किया, उसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलती है। माननीय टंडन जी असंभव को संभव बनाने वाले व्यक्ति थे। 2003 में उन्होंने एक साथ 1001 योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण का विश्व रिकॉर्ड बनाया, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया। श्रद्धेय टंडन जी राजनेता के साथ हमेशा समाज सेवक बने रहे। साम्प्रदायिक एकता के प्रतीक रहे व मानवता के लाडले सपूत के रूप में उनको देखा गया। लखनऊ में उन्होंने कवि सम्मेलन, मुशायरों को न केवल पुनर्जीवित किया, बल्कि स्वयं भी जीवंतता के साथ इसमें भाग लेते थे। हम जब भी मा. टंडन जी से मिलने गये, उनमें अलग आत्मीयता झलकती थी। हम सोचकर जाते थे कि पांच-दस मिनट में राज्यपाल महोदय से मिलकर लौट आयेंगे, लेकिन कभी भी आधे-एक घंटे से पहले नहीं लौट सके। वे खाने-खिलाने के बड़े शौकीन थे। बिना खाये वापस नहीं आने देते थे। श्रद्धेय टंडन जी के निधन से पूरे मध्यप्रदेश की जनता शोकाकुल है। उनके सम्मान में पांच दिन का राजकीय शोक रखा जायेगा। उनका अंतिम संस्कार लखनऊ में आज शाम 4 बजे होगा। प्रदेश की जनता की ओर से मैं स्वयं उनके निवास पर पुष्पांजलि अर्पित करने जाऊंगा। मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनके शोक संतप्त परिवार को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति दें।

आपका

शिवराज