Shivraj Singh Chouhan
Party leader पार्टी नेता, Leaders नायक Location:-Sehore, Madhya Pradesh, India
तुम युवा हो, आगे बढ़ो और जिम्मेदारी को अपने कंधों पर लो!
12 Jan 2019
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स्वामी विवेकानंद की जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस पर मैं उनके चरणों में नमन करता हूं। मैं मानता हूं कि उनकी ओजस्वी वाणी और अनमोल वचनों से सहज ही अज्ञानता के घनघोर बादल छंट जाते हैं। ज्ञान का प्रकाश व्यक्ति के मन को आलोकित कर नवीन आनंद से भर देता है। निराशा की धुंध मिटने के साथ ही आशा का नव सूर्य उदित होता है। आज भी उनके तेजस्वी विचार देश और दुनिया के लाखों लोगों के जीवन में उद्धारक बने हुए हैं। उन्हें युवा शक्ति पर कितना अटूट विश्वास था, यह बताने के लिए उनका एक वाक्य ‘संभव की सीमा को जानना है, तो असंभव के आगे निकल जाओ‘ ही पर्याप्त है।
मैं भी यह मानता हूं कि युवा शक्ति के समकक्ष दुनिया की कोई दूसरी शक्ति नहीं है। आत्मबल से बड़ा दूसरा कोई बल नहीं हो सकता है। इसलिए जब भी मैं युवाओं से संवाद करता हूं, तो आत्मबल के विकास पर जोर देता हूं। मैंने स्वयं को आत्मिक और आध्यात्मिक रूप से इतना मजबूत बना रखा है कि मुझे जीवन के उतार-चढ़ाव बाधा की बजाय मेरी ताकत बन जाते हैं। संभवत: इसीलिए मेरे शब्दकोश में असंभव शब्द नहीं है।
युवाओं को लक्षित कर उन्होंने कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये। सत्य है कि लक्ष्य को साधना हो, तो स्वामी जी के वचनों को आत्मसात कर लो, सफलता स्वयं आपका वरण करेगी। स्वामी जी का एक प्रसंग याद आता है, जब वह अमेरिका में थे और किसी पुल से गुजर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि कुछ लड़के नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगा रहे थे। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। स्वामी जी ने खुद बन्दूक संभाली और निशाना लगाने लगे। उन्होंने एक के बाद एक 12 सटीक निशाने लगाए। सभी लड़के दंग रह गए और उनसे पूछा- स्वामी जी, आप ये सब कैसे कर लेते हैं? इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा, “जो भी काम करो अपना पूरा ध्यान उसी में लगाओ।”
वास्तव में लक्ष्य प्राप्त करने या लक्ष्य साधने का यही मूल मंत्र है कि फोकस होकर काम करो। हर काम को ऐसे करो कि लगे यह नहीं हुआ, तो जीना व्यर्थ है। यदि आप अपना शत-प्रतिशत किसी भी कार्य में लगा दोगे, तो विश्वास करो कि असफलता तुम्हारे पास भी नहीं फटकेगी। ऐसे प्रयासों से ही एक सफल जीवन की रचना हो सकती है।
स्वामी जी युवाओं को अपनी जिम्मेदारी आप लेने का आह्वान करते हुए कहते थे कि तुम कैसे अपने आपको दुर्बल कहते हो? उठो, साहसी बनो, वीर्यवान होओ। सब उत्तरदायित्व अपने कंधों पर लो। यह याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहते हो, सब तुम्हारे भीतर ही विद्यमान है।
इसलिए मैं कहता हूं कि 65 प्रतिशत युवा आबादी वाला देश भारत ही विश्व गुरु बनने की क्षमता और योग्यता से परिपूर्ण है। हर युवा को इस स्वप्न को साकार करने के लिए केवल स्वामी विवेकानंद जी के कहे शब्दों को अक्षरश: आत्मसात कर भारत के नव निर्माण में जुट जाने की जरूरत है। इसके साथ ही मां भारती के हर लाल के उज्जवल भविष्य का सपना साकार होगा। समर्थ और समृद्ध देश के खुशहाल नागरिक होंगे हम सब। इससे ही हम वैभवशाली, गौरवशाली एवं सम्पन्न भारत के निर्माण में सफल होंगे। यही देश के महान सपूत, प्रखर वक्ता, तेजस्वी संन्यासी और युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।