0%
Loading...
Party leader पार्टी नेता, Leaders नायक Location:-Sehore, Madhya Pradesh, India

साहस और समर्पण का अद्भुत संगम थे पटवा जी

11 Nov 2017

0 comments

साहस और समर्पण का अद्भुत संगम थे पटवा जी

 

आज आदरणीय सुन्दरलाल पटवा जी की जयंती है। ऐसा लग रहा है कि पटवा जी हमारे बीच यहीं- कहीं हैं। हम उन्हें अपने बीच महसूस कर रहे हैं। उनसे संबल ले रहे हैं। उनके विचार और कार्य लगातार हमें प्रेरित कर रहे हैं। उनके द्वारा स्थापित किये गये मूल्य और आदर्श हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। मुझे स्मरण है कि पटवा जी से पहली ही मुलाकात में मैं उनसे बहुत प्रभावित हुआ था। उनकी वाणी में एक ओज था। उनके विचारों में राष्ट्र सेवा के लिये समर्पण था, जो उनके एक-एक शब्द में दिखाई देता था। यही वजह थी कि उनसे मिलकर मेरे जैसे युवा ने भी एक बार में ही यह तय कर लिया था कि मुझे भी अपना जीवन राष्ट्र सेवा के लिये समर्पित करना है और गरीब, कमजोर, वंचित और असहाय लोगों के जीवन को बेहतर बनाना ही अपने जीवन का लक्ष्य रखना है। उनके विचारों ने मुझे बहुत प्रभावित किया। पटवा जी एक आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे। वे बाहर से जितने कठोर थे, अंदर से उतने ही कोमल भी थे। जब कभी उपेक्षित लोगों को न्याय और उनका अधिकार दिलाने की बात होती थी, तो वह बहुत ही कठोर हो जाते थे। उस समय वह किसी की भी चिंता किये बगैर सत्ता से सीधे टकरा जाते थे। उस समय उनका साहस देखते ही बनता था।दूसरी तरफ जन-जन के साथ उनका इतना आत्मीय रिश्ता था कि लोग उनके मृदु- स्वभाव के कायल थे।

पटवा जी जब विधान सभा में बोलते थे तो पक्ष-विपक्ष दोनों ही उन्हें बड़े ध्यान से सुनते थे। वह जनता के मुद्दों की बड़ी गहरी समझ और जानकारी रखते थे। कई बार बड़े तीखे व्यंग भी करते थे। प्रदेश के हितों के लिये सदैव चिंतित और सजग रहते थे। उनके अंदर एक ऐसी वाकपटुता थी, जिसके बल पर वह प्रदेश के हित में कई बड़े और कड़े फैसलों पर पक्ष-विपक्ष दोनों को सहमत करा लेते थे। उनके तर्क इतने सशक्त होते थे कि विपक्षी नेताओं के लिये उनका जवाब दे पाना असंभव ही होता था। उनके साथ कई चुनावों के दौरान काफी नज़दीक से काम करते समय मैंने यह महसूस किया कि उनके अंदर चकित कर देने वाली प्रबंधन और प्रशासनिक क्षमता थी। वे दिन रात मेहनत करते थे, और जो ठान लेते थे, उसे पूरा कर के ही मानते थे। वह एक ज़िन्दा दिल इंसान थे। मुझे याद है कि जब वह भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे तो उन्होंने मुझे युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा था। उस समय उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। उनके प्रोत्साहन से ही मैं संगठन को मजबूती प्रदान कर सका। मैं जब मुख्यमंत्री बना उस समय भी मुझे उनका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनके कुशल संगठक, प्रभावी जननेता और अद्भुत भाषण शैली वाले व्यक्तित्व को शब्दों में बांध पाना बहुत कठिन है। पटवा जी अपने जीवन के अंतिम समय तक युवा मन रखते थे, 92 वर्ष की अवस्था में भी किसी के द्वारा बुजुर्ग कहे जाने पर एक प्यार भरी नाराजगी भी प्रकट करते थे। उन्होंने युवाओं को सदैव प्रेरित किया। उनके प्रोत्साहन के कारण कई युवा आज राष्ट्र की सेवा में बड़े समर्पित भाव से लगे हुये हैं। मुझे आज भी याद है कि जब उन्होंने बस्तर से झाबुआ तक की पदयात्रा की थी तो वे यात्रा में गीत और शेरो-शायरी सुनाते हुये चलते थे। मैंने कभी उनको थकते हुये नहीं देखा। उनका पूरा जीवन भी बड़ा सात्विक था। पटवा जी हर स्थिति में एक जैसा भाव रखते थे। 1992 में राम मंदिर आंदोलन के कारण जब सरकार भंग हुई तो ज़रा भी शिकन उनके चेहरे पर नहीं आयी। उन्होंने देश में पहली बार किसानों का 714 करोड़ रुपये का कर्ज़ माफ किया था। कमलनाथ जी को उनके ही गढ़ छिन्दवाड़ा में ऐतिहासिक शिकस्त दी। हम उनके दिखाये गये मार्ग पर लगातार चलने का प्रयास कर रहे हैं। वह हमारे बीच नहीं होते हुये भी अपने विचार और कर्म से हमारे बीच सदैव मौजूद रहेंगे। मैं आदरणीय पटवा जी के जन्म दिन पर उनको कोटि-कोटि नमन करता हूँ।