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Party leader पार्टी नेता, Leaders नायक Location:-Sehore, Madhya Pradesh, India

सशक्त पंचायत, समर्थ भारत

24 Apr 2018

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आज पंचायती राज दिवस है और मैं आप सभी भाइयों-बहनों को शुभकामनाएं देता हूँ। लोकशाही में पंचायत पंचामृत के समान है। जिस तरह पूजा के बाद पंचामृत का पान न करने पर उसका प्रतिफल नहीं मिलता है, उसी तरह सरकारी योजनाओं की लक्ष्य प्राप्ति पंचायतों के सहयोग के बिना नहीं मिल सकती है। गांधी जी ने कहा था कि असली भारत गाँवों में बसता है। अगर हम अपने गाँवों की छिपी प्रतिभा और शक्ति को पुनः जागृत कर सकें तो गांधी जी के सपनों के भारत का निर्माण कर सकेंगे। आपसी सामंजस्य,

सौहार्द, संगठन, सहयोग, समन्वय, संयोजन, समर्पण की भावना सदियों से गाँवों के लोगों ने सँजोया है। इस भावना को हम सुदृढ़ करें तो गाँवों को एक नयी शक्ति और ऊर्जा मिलेगी। गावों का सशक्तिकरण सहज ही हो जायेगा। सशक्त गाँव ही समर्थ भारत का निर्माण करेंगे। ग्राम शक्ति पंचायत शक्ति से जुड़ी है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने कुछ दिनों पहले भाजपा के सांसदों और विधायकों को संबोधित करते हुए कहा था कि हमें गाँव से जुड़ना चाहिए। गाँवों में सरकार की योजनाएँ लागू करवाने का काम ही हमने कर लिया तो देश में बहुत बड़ा बादलाव हम ला सकते हैं। पंचायतों का अस्तित्व आज से नहीं, बल्कि वैदिक काल से ही रहा है। वैदिक काल में ग्राम के प्रमुख को ग्रामणी कहते थे। कौटिल्य ने भी ग्राम को महत्वपूर्ण राजनीतिक इकाई माना है और ग्राम के प्रमुख को "ग्रामिक" कहा जाता था और उसे कई अधिकार प्राप्त थे।

गांधी जी ने कहा था, “अगर हिंदुस्‍तान के हर एक गांव में कभी पंचायती राज कायम हुआ, तो मैं अपनी इस तस्‍वीर की सच्‍चाई साबित कर सकूंगा, जिसमें सबसे पहला और सबसे आखिरी दोनों बराबर होंगे या यों कहिए कि न तो कोई पहला होगा, न आखिरी।” हमारी केंद्र और राज्य की सरकारों ने भी गाँवों के चहुंमुखी विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ग्राम पंचायतों को सभी आवश्यक अधिकार दिये हैं। ग्राम पंचायत सत्ता के विकेन्द्रीकरण (de-centralization) में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हमारे ग्रामीण अंचलों को ना सिर्फ ये स्वावलंबी बना रहे हैं,बल्कि स्व-शासन (self governance) की अवधारणा को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।  हमारी पंचायतों को यह अधिकार है कि ग्रामीण प्रोजेक्ट्स से संबन्धित डिसीजन, डिज़ाइन और डेवलपमेंट खुद करें, क्योंकि वहाँ की लोकल जरूरतों से वही परिचित हैं। जिससे कि स्थानीय लोगों के स्थानीय समस्याओं का समाधान कुशलता पूर्वक हो सके। विकास के विकेंद्रीकरण का इससे अच्छा दूसरा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है।

मध्यप्रदेश आज कृषि, खेल, शिक्षा, उद्योग, स्वास्थ्य के साथ अन्य सभी क्षेत्रों में अग्रणी है, उसका प्रमुख कारण हमारी पंचायतों की राज्य सरकार के साथ सक्रिय भागीदारी रही है। ये पंचायतें ही हैं, जो सरकार का असली आधार हैं। असली सरकार तो यही हैं। इनके योगदान के बिना सरकार अपने लोकहित के लक्ष्य और विकास के प्रमुख उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकती है। सरकार की योजनाएं, चाहे जितनी अच्छी हों, पंचायतों के बिना उनका उचित क्रियान्वयन असंभव है। पंचायतों से योजनाओं के क्रियान्वन के साथ किस तरह की योजनाओं से लोगों का कल्याण होगा, इसकी भी जानकारी मिलती है।

पंचायत मनरेगा के क्रियान्वयन में प्रमुख एजेंसी के रूप में काम कर रहा है। मनरेगा की सफलता पंचायतों की वैध भूमिका को मान्यता देता है। इस योजना के क्रियान्वयन से पंचायती क्षेत्रों में "आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय" का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। मध्यप्रदेश में रामराज्य की स्थापना का सबसे बड़ा माध्यम पंचायत हैं। पंचायतों के साथ मिलकर सरकार मध्यप्रदेश को हिन्दुस्तान नहीं, दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनायेगी। हमारे यहाँ 23 हज़ार से अधिक ग्राम पंचायत हैं। प्रदेश की 48 ज़िला पंचायत, 313 जनपद पंचायत और 23 हज़ार 51 ग्राम पंचायतों में लगभग 4 लाख से अधिक साथी नये मध्यप्रदेश के निर्माण में हमारे सहभागी हैं।

पंचायती राज व्यवस्था ने महिला सशक्तिकरण को नया आयाम दिया है। स्थानीय चुनाव में हमने महिलाओं को 50% आरक्षण दिया है, लेकिन वे न केवल आरक्षित सीटों पर विजयी हुईं,बल्कि अनारक्षित सीटों पर भी जीतते हुए आज 56% सीटों पर अपना परचम लहरा रही हैं। हमारी बहनें अपने उत्कृष्ट कार्य से देश-प्रदेश की बहनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही हैं। 

हमारी पंचायतों ने प्रदेश के विकास को नये पंख दिये हैं। शासकीय योजनाओं का लाभ अंतिम छोर (Last Mile Connectivity) के व्यक्ति तक पहुंचाने का काम किया है।  2016 में प्रधानमंत्री द्वारा मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय को उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया। शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायतों का बहुत बड़ा योगदान है। इनके बिना ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण से लेकर बच्चों को शिक्षा देने तक के लक्ष्य को साधना मुश्किल है। आज हम स्वच्छता के क्षेत्र में गौरव का अनुभव करते हैं। स्वच्छ भारत अभियान में प्रदेश के ओडीएफ़ के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर तक सराहा गया है, तो इसमें हमारी पंचायतों का बहुत बड़ा योगदान है।

ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकने में भी पंचायतों का बहुत बड़ा योगदान है। विकास के कार्यों को आगे बढ़ाने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। बाल विवाह रोकने से लेकर सामाजिक जनजागरण के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं में प्रदेश सरकार को अभूतपूर्व सफलता मिली है, जिसे देश के अन्य राज्य यहाँ देखने और रिसर्च करने आ रहे हैं, तो इसका श्रेय हमारी पंचायतों को जाता है। शहर में लोग जागरूक हैं और प्रचार के विभिन्न माध्यमों से उन तक जानकारी पहुँच भी जाती है और उन्हें लाभ भी मिल जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह बहुत कठिन है। ग्रामीण क्षेत्रों में योजना की सफलता का सबसे बड़ा आधार पंचायतें हैं।

प्रदेश की सिंचाई क्षमता साढ़े सात लाख हेक्टेयर से बढ़कर आज 40 लाख हेक्टेयर हो गई, तो इसका श्रेय भी बहुत हद तक पंचायतों को जाता है। तालाबों की खोदाई से लेकर नहरों के निर्माण और खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए हमारी पंचायतों ने अभूतपूर्व कार्य किये हैं। मध्यप्रदेश में रेत खनन का काम ग्राम पंचायतों के माध्यम से कराया जा रहा है। हमारी ग्राम पंचायतें ही तय करती हैं कि कहाँ-कहाँ और कितना खनन होना है। खनन की अनुमति वे ही देते हैं तथा प्राप्त रायल्टी भी ग्राम पंचायत के विकास कार्यों पर खर्च की जाती है। इस तरह हम प्राकृतिक संसाधनों के शोषण की बजाय दोहन को प्रोत्साहन दे रहे हैं।

अभी श्रमिकों के कल्याण के लिए हमने जो 'असंगठित श्रमिक कल्याण योजना' बनाई है, इस योजना का लाभ पहुंचाने का काम पंचायतें ही कर सकती हैं। प्रदेश में पंचायत कर्मियों का बीमा करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है. इनके लिए हमने सामूहिक बीमा योजना लागू की है। इस योजना से पंचायत कर्मियों और उनके परिवारों को गंभीर बीमारियों, दुर्घटना एवं मृत्यु की स्थिति में आर्थिक सहायता मिलती है। समूह बीमा योजना का लाभ प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों को मिल रहा है। इसके अन्तर्गत सेवाकाल में किसी भी कारण से मृत्यु होने पर पंचायत कर्मी को एक लाख, दुर्घटना में स्थाई अपंगता पर 50 हजार, गंभीर बीमारी में 25 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।

नये मध्यप्रदेश के निर्माण में पंचायत सचिवों की भागीदारी का सम्मान करते हुए अब उन्हें शासकीय कर्मचारियों का दर्जा दिया गया और उन्हें छठवें वेतनमान का लाभ भी हम दे रहे हैं। जो पंचायत सचित काँग्रेस के जमाने में 1200 रुपये पर काम करते थे, अब उनकी नियुक्ति 10 हजार रुपए प्रतिमाह के वेतन पर की जा रही है। ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के मूल मंत्र पर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का फोकस है। जब से हमारी पंचायतों में प्रधानमंत्री के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' को सुना जाने लगा है, तब से गाँवों में एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला है।

प्रदेश के गाँव में किये कई अभिनव प्रयासों (सफलता की कहानी) की उन्होंने जो प्रशंसा की, तो उससे लोगों को एक नई ऊर्जा मिली है। लोग अपने क्षेत्र और प्रदेश के लिए श्रेष्ठतम कार्य करने के लिए जी-जान से जुट रहे हैं। हमारा मूल मंत्र सबका साथ सबका विकास है। पंडित दीनदयाल के दिखाये पथ पर हम चल रहे हैं और अंत्योदय ही हमारा लक्ष्य है। जब तक विकास का प्रकाश पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक न पहुंचे, तब तक मैं चैन से नहीं बैठूँगा। इस लक्ष्य की प्राप्ति में पंचायतों और आप जैसे निर्वाचित प्रतिनिधियों से सहयोग चाहता हूँ।