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Party leader पार्टी नेता, Leaders नायक Location:-Sehore, Madhya Pradesh, India

मेरे बच्चों खूब पढ़ो, आगे बढ़ो और अपने माता-पिता, अपने प्रदेश, अपने देश का नाम रौशन करो

14 May 2018

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आज माध्यमिक शिक्षा मण्डल मध्यप्रदेश के हाई स्कूल (10वीं) और हायर सेकेन्डरी (12वीं) परीक्षा के नतीजे घोषित हुए। 10वीं की परीक्षा में शामिल 11 लाख 352 विद्यार्थियों में से 66.54% विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की और 12वीं की परीक्षा में शामिल 7.69 लाख विद्यार्थियों में से 68.07% विद्यार्थी सफल हुए। 12वीं की परीक्षा में 69% छात्राओं ने छात्रों को पीछे छोड़ एक बार फिर सिद्ध किया कि वे किसी भी रूप से लड़कों से कम नहीं है, बल्कि एक कदम आगे ही हैं। बड़ी खुशी की बात है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष के परिणाम बेहतर आए हैं। मेरी ओर से सभी को शुभकामनाएँ।
कुछ बच्चे अच्छे अंक लाए हैं। 10वीं में विदिशा की अनामिका साध और शाजापुर के हर्षवर्धन परमार ने 99% फीसदी अंक हासिल किए। 12वीं में छिंदवाड़ा की शिवानी पवार ने 95.2% के साथ कला संकाय से टॉप किया। विज्ञान-गणित संकाय में शिवपुरी के ललित पंचोली 98.4% के साथ टॉप पर रहे, सभी को मेरी अनेकों शुभकामनाएँ। कुछ बच्चे असफल भी हुए है, कुछ के अंक कम आए हैं, उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं हैं।
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”
अच्छे अंक ना आ पाना असफलता नहीं है। अगर परीक्षा परिणाम आशानुरूप नहीं आएँ तो घबराना नहीं, हिम्मत नहीं हारना, खुद को निराशा की दलदल में नहीं फँसने देना। यह जीवन का अंत नहीं है। अवसर और भी मिलेंगे। कई सफलतम हस्तियाँ भी अपने जीवनकाल में असफलता झेल चुकी हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, बॉक्सर मैरी कॉम, सचिन तेंदुलकर, अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन जैसे कई महान लोग हैं, जिनके कम नंबर आए। इसके बावजूद उन्होंने दुनिया में सफलता हासिल की।
हमारे देश में परीक्षा परिणामों का हौवा बना कर बच्चों के सामने पेश किया जाता है, और दुर्भाग्य की बात यह है कि इस काम को बच्चों के माता-पिता और अभिभावक ही अंजाम देते हैं। हर माता-पिता को अपने बच्चे के भविष्य की चिंता होती है और इसके लिए वे खुद जीवन भर कष्ट उठाते हैं अतः यह स्वाभाविक है कि उनकी अपने बच्चों से अपेक्षाएँ होती हैं। लेकिन अभिभावकों को चाहिए कि अपनी अपेक्षाओं का बोझ बच्चों पर ना डालें। बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करें कि वे और भी बेहतर कर सकते हैं।
इस नाज़ुक समय में अभिभावकों को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना अतिआवश्यक है। अक्सर माता-पिता क्रोधवश बच्चों को भला-बुरा कह अन्य बच्चों से तुलना करने लगते हैं, यह बिलकुल सही नहीं है। बच्चों का मन अतिकोमल होता है, किसी भी बात के प्रति वे अपनी धारणा फौरन बना लेते हैं, स्वयं को दूसरे से कम समझने लगते हैं जो कि डिप्रेशन की स्थिति उत्पन्न करता है। प्रत्येक बच्चा अपने आप में विशेष है। सबकी अपनी क्षमताएँ हैं, अपनी कमज़ोरियाँ हैं। उसकी रुचि-अरुचि का ध्यान रखना भी ज़रूरी है।
मध्यप्रदेश में 10वीं-12वीं कि परीक्षा में अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए 'रुक जाना नहीं योजना' आरंभ की गई है जिसमें वे बिना रुके पुनः परीक्षा दे कर सफलता हासिल कर सकते हैं। 23,000 से अधिक छात्रों मेधावी छात्रों को लैपटॉप प्रदान किया जाएगा ताकि दुनिया भर के ज्ञान तक उनकी पहुँच हो और जीवन में आगे बढ्ने के लिए वे इसका उपयोग कर सकें। प्रदेश में कई ऐसे बच्चे हैं, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, ऐसे बच्चों के लिए हमने मेधावी विद्यार्थी योजना बनाई। इस बार 12वीं में 70% अंक लाने वाले बच्चों की उच्च शिक्षा की पूरी फीस सरकार भरेगी। राज्य के हर जिले में हमने पांच करियर सलाहकार नियुक्त करने का निर्णय लिया है जो छात्रों को बेहतर विकल्पों के बारे में अवगत करा कर उन्हें अपने विवेक से सही चुनाव करने में सहायता करेंगे।  
मेरे बच्चों, हताश नहीं होना थक कर हार नहीं मानना। आगे बढ़ते रहना ही जीवन का सार है। तुम सभी खूब तरक्की करो यही मेरी कामना है।