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हिन्दी ही हमारा आधार:आओ संजोये इसका सम्मान और गौरव

14 Sep 2018

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हिन्दी ही हमारा आधार:आओ संजोये इसका सम्मान और गौरव

 

आज 14 सितंबर है और आज के दिन हमारे देश में हिन्दी दिवस मनाया जाता है। दरअसल, आजादी मिलने के दो साल बाद यानी 14 सितम्बर 1949 को विचार विमर्श के बाद सबकी सहमति से हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था और तभी से यह दिन हिन्दी के लिए समर्पित हो गया। हालांकि, जब हिन्दी को राजभाषा के रूप में चुना गया था तो कई गैर-हिन्दी भाषी राज्यों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। लेकिन इस सपने को साकार करने में सबसे बड़ा हाथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का था, क्योंकि उन्होंने ही 1918 में गुजरात के एक अधिवेशन में कहा था कि हिन्‍दी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो राष्‍ट्र भाषा हो सकती है। इन्होंने ही हिन्दी को जनमानस की भाषा भी कहा था।

भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में भी वर्णित है, कि संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। इस दिन को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य देशभर के लोगों को अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति जागरूक बनाना है और उसे संरक्षण देने के लिए प्रेरित करना है, ताकि अनंतकाल तक इसका वजूद कायम रह सके।

मैं हिन्दी दिवस के इस मौके पर मशहूर शायर मुहम्मद इकबाल को जरूर याद करना चाहूंगा, क्योंकि एक गैर हिन्दू होने के बावजूद इन्होंने 1905 में लिखे अपने एक लोकप्रिय गीत 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा...' की एक पंक्ति 'हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा' में हिन्दी भाषा को सर्वोपरि बताया है, जिसमें कोई दो राय भी नहीं है।

हमारी हिन्दी दुनियाभर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। इस भाषा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जैसे लिखी जाती है, वैसे ही बोली भी जाती है, इसलिए गैर हिन्दी भाषी लोग भी इसे आसानी से सीख और अपना लेते हैं। हिन्दी इतनी सशक्त भाषा है कि इसके जरिए आर्थिक, सांस्‍कृतिक, राजनीतिक या किसी भी क्षेत्र विशेष की गतिविधियां हों, उनकी जीवंत अभिव्‍यक्ति करने का दम-खम रखती है। हिन्दी भाषा के पास असीम शब्द भंडार है। जब हम इतनी संपन्न भाषा के धनी हैं, तो इसका महत्व क्यों नहीं समझ पा रहे हैं। 

मैं वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर गौर करूं तो आज के बच्चे हिन्दी से बहुत दूर हो चुके हैं। उनके जीवन का हर लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी भाषा से ही होकर गुजरता है। ये बच्चे ही हमारे मध्यप्रदेश और भारत देश का आने वाला कल हैं और इनकी ही हिन्दी से दूरियां दिनोंदिन बढ़ रही हैं। यह देखकर मैं बहुत आहत होता हूं। मैं अंग्रेजी भाषा की आलोचना नहीं कर रहा हूं, लेकिन हम इसके कारण अपनी भाषा को कमतर आंकने का अपराध क्यों कर रहे हैं। बच्चों ही नहीं, यह हाल बड़ों का भी है, क्योंकि बड़े भी हिन्दी का इस्तेमाल करने बचते हैं। कुछ लोग तो इसलिए हिन्दी के प्रयोग से बचते हैं, क्योंकि उनकी नजर में यह गंवारों की भाषा है, अनपढ़ों की भाषा है। मैं ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि यह भाषा हमारा गौरव है। इससे हमारा सम्मान बढ़ता है। हमारे पुरखों को इसने एकजुट किया। एकसूत्र में बांधे रखा। इसी से जुड़कर देश की आजादी परवान चढ़ी। यह हमारे गौरव के साथ हमारी पहचान भी है।

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मानते हैं कि हिन्दी के बिना देश का विकास अधूरा है और इसे समृद्ध बनाने के लिए अन्य भारतीय भाषाओं से जोड़ते हुए इसका विस्तार करना होगा। विरासत में मिली हिन्दी को हमें मिलकर बचाना होगा, वरना आने वाले समय में इसका अस्तित्व कायम रखना मुश्किल हो जाएगा। हिन्दी दिवस के मौके पर हमें उन हस्तियों का खासतौर से अनुसरण करना चाहिए, जिनका पूरा जीवन हिन्दी के लिए ही समर्पित रहा। अब स्वर्गीय अटलबिहारी वाजपेयी का उदाहरण ही ले लीजिए। जब भी हिन्दी की जिक्र होता है तो इन्हें सबसे पहले याद किया जाता है, क्योंकि दुनिया में हिन्दी का परिचय बतौर विदेश मंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने ही करवाया था। इन्होंने 1977 में हुए एक संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दी में ही भाषण दिया था और दुनियाभर के हिन्दी भाषियों का दिल जीत लिया था।

हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी हिन्दी के बहुत अच्छे वक्ता माने जाते हैं। इनकी वाणी में हर क्षण अपनी भाषा के प्रति सम्मान नजर आता है, तो ऐसे में हमें भी इनसे सीख लेनी चाहिए। आइए, इस हिन्दी दिवस पर हम मिलकर ये संकल्प लेते हैं कि हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग करेंगे और अपने परिजनों एवं दोस्तों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेंगे। 

जय हिन्द... जय हिन्दी... जय भारत माता

आपका

शिवराज